शनिवार, 15 मार्च 2008

फिर आज हम गम से भरे, फिर आज है तुम से गिला, तुम गैर को मिल क्यों गए, हम क्यों अके ले हैं भला। अब की ज़रा खुद आइये, कासिद कहाँ तक आँएगे, नज़रों से नज़रें भी मिलें, दिल अब बहुत दिल से मिला।

आज होली का माहौल बनने लगा है चारों तरफ वही उल्‍लास दिखाई देने लगा है होली और कवियों का कुछ पुराना सा रिश्‍ता है शायद । कवि दीपावली पर उतना उल्‍लासित नहीं होता जितना कि होली पर होता है ।

और अब तो ऐसा लगने लगा है कि अब ग़ज़ल की कक्षाओं को बंद कर दिया जाए क्‍योंकि अब कुछ रुचि नहीं आ रही है सिखाने में ।

फिर भी चलिये आज कुछ गाड़ी को आगे सराकाते हैं ताकि हम कम अ स कम बहरों को तो समापन पर ले जा सकें ही

हम बात कर रहे हैं बहरे रजज की जो कि हमारी ठीक पहली ही बहर हे और जिसका स्‍थाई रुक्‍न है मुस्‍तफएलुन 2212  इसके बारे में मैंने पहले ही बताया था कि ये तो इसका सालिम है मगर इसकी मुजाहिफ बहरें भी होती हैं जिनमें कि रुक्‍न में कुछ परिवतान आ जाता है । कंचन  ने कुछ प्रयोग किये हैं बहरे रजज सालिम मुसमन पर और कुछ शेर निकाल के भेजे हैं चलिये उनकी तकतीई करके देखतें हैं कि कहां तक कामयाब रहा है कंचन का प्रयोग

फिर आज हम गम से भरे, फिर आज है तुम से गिला,

2212-2212-2212-2212
तुम गैर को मिल क्यों गए, हम क्यों अके ले हैं भला।

2212-2212-2212-2212
तुम जानते हो जिंदगी, तुम से शुरू, तुम से खतम,

2212-2212-2212-2212
तुम से सहर, तुम से सबा, तुम जो मिले तो सब मिला।

2212-2212-2212-2212
अब की ज़रा खुद आइये, कासिद कहाँ तक आँएगे,

2212-2212-2212-2212
नज़रों से नज़रें भी मिलें, दिल अब बहुत दिल से मिला।

2212-2212-2212-2212

हूं अच्‍छा किया है कुछ परेशानियां हैं जिनको दूर करने पर एक उम्‍दा ग़ज़ल बन सकती है । लेकिन एक बात तो है कि ये पूरी की पूरी ग़ज़ल फिलहाल तो बहरे रजज मुसमन सालिम पर है । तालियां तालियां तालियां

चलिये आगे चलते हैं और रजज की आगे की बहरें देखते हैं कि बहरे रजज की आगे की बहरें किस प्रकार की हैं । हालंकि मैंने अपने पिछल अध्‍याय में काफी कुछ दे  दिया था फिर भी आज कुछ आगे की बात की जाए कि किस प्रकार से कार्य किया जाना हे ।

बहरे रजज की सालिम बहरें

1 बहरे रजज मुसमन सालिम ( अर्थात चार रुक्‍न हों और चारों ही मुस्‍तफएलुन हों जैसे कि ऊपर कंचन के हैं )

2 बहरे रजज मुसद्दस सालिम ( अर्थात तीन रुक्‍न हों और तीनों ही मुस्‍तफएलुन हों )

3 बहरे रजज मुरब्‍बा सालिम ( दो रुक्‍न हों और दोनों ही मुस्‍तफएलुन हों )

बहरे रजज की मुजाहिफ बहरें

1 बहरे रजज मुसमन मतवी मखबून

( मुफतएलुन-मुफाएलुन-मुफतएलुन-मुफाएलुन)

2 बहरे रजज मुसमन मतवी

( मुफतएलुन-मुफतएलुन-मुफतएलुन-मुफतएलुन)

3 बहरे रजज मुसद्दस मतवी

( मुफतएलुन-मुफतएलुन-मुफतएलुन)

4 बहरे रजज मुरब्‍बा मतवी

( मुफतएलुन-मुफतएलुन)

5 बहरे रजज मुसमन मुरफ्फल

( मुफतएलातुन-मुफतएलातुन-मुफतएलातुन-मुफतएलातुन)

ये कुछ प्रमुख बहरें हैं बहरे रजज की ऐसा नहीं हैं कि ये ही हैं बस पर ये जान लें कि ये कुछ प्रमुख हैं जो कि आम तौर पर उपयोग में लाई जाती हैं । आज मैं उदाहरण नहीं दे रहा हूं अगर आप लोग इनके उदाहरण छांट के दे पाएं तो बहुत अच्‍छा होगा । मुझे भी तो लगे कि मैं जो कर रहा हूं उसको पढ़ा भी जा रहा है ।

5 टिप्‍पणियां:

  1. sir,
    you have done a great job, i salute you bcs you know ghazal is supposed to be related to only urdu speaking persons and In hindi Dushyant seems to be alone, but this type of effoet can give you many mir and ghalib in hindi. I have started one blog on same subject i need your support you pls send me some contacts of ghazal poets wriring in metres.here is message:

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  2. are guru ji abhi abhi taliya.n suni.... ab to aur man lagega padhne me..!

    home work karne ki koshish karti hu.n

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  3. गुरूजी, होली की छुट्टी में घर जा रहा हूँ इस्लिए कुछ दिन अनुपस्थित रहूँगा। इसी व्यतता में टिप्पणी भी नही कर पा रहा हूँ जिसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ।

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  4. Subeer ji aur sabhi manch ke saathion ko Happy Holi.

    yeh wazan 2212, 2212 aasaan bhi hai par kai dushwaarian bhi saath liye hue hota hai jub kabhi use 11212 ke roop mein istemaal karti hoon. kya ye chand sher durust bhi hai..ek koshish..

    ग़ज़ल: 310
    मेरे वतन की तू हवा, आएगी कब ये तो बता
    चंदन सी लेकर ख़ुशबू आ, आएगी कब ये तो बता.

    करती नहीं कुछ भी असर, हर इक दवा है बेअसर
    छूकर उन्हें देने शिफ़ा, आएगी कब ये तो बता.

    आँखों मे हैं सपने जगे, ऐ शम्अ तू रौशन रहे
    दिल में जलाने अब दिया, आएगी कब ये तो बता.

    कल‍ कल बहे नदिया सी तू, फिर भी रही है तिशनगी
    गागर से अपनी जल पिला, आएगी कब ये तो बता.

    देवी के दिल में जो बसी, साँसों में मेरे रच गयी
    तुमको है उसका वास्ता, आएगी कब ये तो बता.

    देवी नागरानी

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  5. प्रणाम गुरुवर,

    इधर काफ़ी दिनों से मैं अपनी हाजरी लगा नही पाया इसके लिए क्षमा चाह हूँ. पिछली क्लासेज़ शीघ्र पूरी कर के होमवर्क जमा करने का प्रयास रहेगा.

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